मुंबई, 27 मार्च 2025: ऑल-इंडिया हाउसिंग प्राइस इंडेक्स 2024 के अनुसार, भारत के महानगरों में संपत्तियों
की औसत कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसका प्रमुख कारण देश में अमीर लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि
है। इंडेक्स से पता चलता है कि ऐसे समय में जब भारत में उच्च आय वाले व्यक्तियों और अति उच्च आय वाले
व्यक्तियों की संख्या में 12% की प्रभावशाली चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर देखने को मिल रही है, तब किफायती
आवास सेगमेंट की तुलना में बड़े आकार वाली प्रीमियम संपत्तियों की मांग में बहुत वृद्धि हुई है, यहां तक कि
इस सेगमेंट ने बिक्री के मामले में किफायती आवास के सेगमेंट को भी पीछे छोड़ दिया है।
ऑनलाइन रियल एस्टेट सलाहकार प्लेटफ़ॉर्म हाऊसिंग डॉटकॉम और इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस की संयुक्त
पहल, हाउसिंग प्राइस इंडेक्स समय के साथ नई आवासीय संपत्तियों की बिक्री की कीमतों में होने वाले
बदलावों को ट्रैक करती है। हाउसिंग प्राइस इंडेक्स घर खरीदने वालों, निवेशकों, डेवलपर्स और नीति
निर्माताओं के लिए एक प्रमुख बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है, जो बाजार के ट्रेंड्स और कीमतों में होने वाले
बदलावों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। यह भारत के डायनेमिक रियल एस्टेट लैंडस्केप में सजग निर्णय
लेने के लिए एक महत्वपूर्ण टूल बना हुआ है।
ऑल-इंडिया हाउसिंग प्राइस इंडेक्स में 4 अंकों की वृद्धि; अधिकांश शहरों में कीमतों में वृद्धि हुई:
दिसंबर 2024 में, पूरे भारत में हाउसिंग प्राइस इंडेक्स का स्तर 129 अंक दर्ज किया गया, जो जनवरी से 4
अंकों की वृद्धि दर्शाता है। कंपनी ने इंडेक्स डेटा से लिए गए मुख्य निष्कर्षों पर ज़ोर देते हुए अपनी रिपोर्ट में
बताया कि यह वार्षिक वृद्धि मजबूत मांग और सकारात्मक उपभोक्ता भावनाओं के कारण हुई है। हालांकि, बीते
साल की तुलना में इस वृद्धि की गति थोड़ी धीमी रही है—दिसंबर 2023 में हाउसिंग प्राइस इंडेक्स का स्तर
132 अंक था, जो भारतीय रियल एस्टेट के लिए एक ऐतिहासिक साल रहा था।
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन और अहमदाबाद जैसे कुछ अपवादों को छोड़कर, विश्लेषण में शामिल अधिकांश
शहरों में संपत्ति की कीमतों में वृद्धि देखी गई, जिससे कुछ शहरों में आवासीय किफायत स्तर पार हो गया। यह
ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार आवासीय किफायत में सुधार लाने हेतु नई रणनीतियां बना रही है।
195 के स्तर पर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ने दिसंबर में इंडेक्स में सर्वोच्च स्थान हासिल किया था, जो पिछले कुछ
सालों में इस क्षेत्र में मांग की असाधारण उछाल के कारण हुआ। ज़मीन और निर्माण की लागत के भी बहुत
ज़्यादा बढ़ने के बावजूद, अन्य बाज़ारों की प्रमुख कंपनियां यहां अपने पहले प्रोजेक्ट लॉन्च कर रही हैं, ताकि
इस क्षेत्र में बढ़ते संपन्न वर्ग से आ रही मांग का लाभ उठाया जा सके। हरियाणा और यूपी की सरकारों के
इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने और बढ़ते इक्विटी इनफ्लो के कारण यहां कीमतों में वृद्धि जारी रहने की संभावना
है। रिपोर्ट के अनुसार, द्वारका एक्सप्रेसवे, सोहना और नोएडा एक्सटेंशन जैसे प्रमुख माइक्रो-मार्केट निवेश के
प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। लगातार बढ़ती व्यावसायिक संभावनाओं के कारण देश के दो प्रमुख आईटी हब, बेंगलुरु
और हैदराबाद, इंडेक्स में क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
हाऊसिंग डॉटकॉम और प्रॉपटाइगर डॉटकॉम के ग्रुप सीईओ, श्री ध्रुव अग्रवाल ने कहा, “मजबूत होती कीमतें
दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि और समृद्धि की कहानी बयां करती हैं। हालांकि, ये भारत
के मध्य वर्ग पर बढ़ते बोझ का भी संकेत देती हैं। रियल एस्टेट की संतुलित वृद्धि को बनाए रखने के लिए,
आवासीय किफायत अनिवार्य है। हालांकि, सकारात्मक कदम पहले से ही उठाए जा रहे हैं, जैसे कि केंद्रीय बजट
2025-26 में घोषित बेहतर कर छूट (टैक्स ब्रेक) और ब्याज दरों को कम करना, लेकिन भू-राजनीतिक मुद्दे इन
संपत्तियों के निर्माण में लगने वाली लागत पर अतिरिक्त दबाव डालकर इस संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।”
भारत में अमीरों की संख्या बढ़ने के साथ ही, प्रीमियम आवासों की मांग भी बढ़ रही है:
कीमतों में बढ़ोत्तरी के बीच, बड़े घरों की मांग में भी तेज़ी देखी जा रही है, जो भारत में घर खरीदने वालों की
बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाती है। जबकि दिसंबर महीने में 3BHK घरों के लिए पूरे भारत में
कॉन्फ़िगरेशन-वार हाउसिंग प्राइस इंडेक्स (HPI) 141 तक पहुंच गया, जो जनवरी से 11 अंकों की वृद्धि को
दर्शाता है, 1BHK घरों का इंडेक्स इसी अवधि में 123 से घटकर 117 रह गया।
इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस में अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति के सहायक प्रोफेसर, श्री शेखर तोमर ने कहा,
“नवीनतम हाउसिंग प्राइस इंडेक्स दर्शाता है कि 2024 की अंतिम तिमाही में भारत भर में आवासों की कीमतें
स्थिर हो गईं। 3BHK सेगमेंट में कीमतों में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है, जिसे बड़े घरों की स्थायी मांग से
समर्थन मिला है। इसके विपरीत, 1BHK के बाज़ार में सुस्ती बनी हुई है, जहां बिक्री और कीमतें दोनों ही गिर
रही हैं। इससे संकेत मिलता है कि या तो खरीदार बड़े आकार की संपत्तियों को ज़्यादा प्राथमिकता देने लगे हैं
या बजट पर ध्यान देने वाले घरों के खरीदारों की ओर से मांग में कमी आ गई है।”